Tuesday, April 5, 2011

kasam

कसम ..
कहा जा रही हो बहू.......?
अस्पताल......
कल पैथोलोजी  गयी थी ना ?
हां....
आज अस्पताल क्यों......?
apointment  है आज का .
क्यों खून करवाने के लिए ..? बहू मेरे जीते जी ऐसा नहीं हो एकता . बेटी  दो खानदानो की चिराग होती है,नया उजास आने दो. मेरी कसम है  बहू चौखट के  बाहर  पाँव ना रखना  ....नन्दलाल भारती





No comments:

Post a Comment