Wednesday, April 6, 2011

nigaaho e gir gaye

निगाहों से गिर गए जनाब ..
गुलशन तबियत ठीक नहीं है क्या ?
जी हां .
क्या हुआ ? डायबिटीज बढ़ तो नहीं गयी ?
चक्कर सा लग रहा है .थकावट भी बहुत है .शरीर टूट रहा है .
डाक्टर को दिखाया ?
हां .. कई टेस्ट लिखे है .बेड रेस्ट की सलाह दे रहे थे .
बेड रेस्ट करना था .दफ्तर क्यों आ गए ?
आने के बाद इल्जाम ना आता तो क्या होता ?
किसने इल्जाम लगा दिया  ?
बड़े साहब .
क्या .?
काम देख लिया तो तबियत खराब हो गयी . बाईस साल की नौकरी में पहला इल्जाम ....?
सच  घोड़े की अगाडी गदहे की पिछाड़ी घातक होती है वैसे  ही है ये मतलबी साहब . लोग दुःख-दर्द में काम आते है और ये आग बो रहे है .
जी ..मेरी निगाह से तो गिर गए जनाब.....नन्दलाल भारती.. ०६.०४-२०११



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