Tuesday, April 19, 2011

encounter


  एनकाउन्टर..
डाकू-डाकू देखो साले भागने ना पाए. मार दो गोली की ललकार सुनकर विजय और रोहित पश्चिम दिशा की और बढ़ने लगे पर आवाज़ तो बिलकुल निर्जन जगह से आ रही थी. दोनों ठिठक गए और असमंजस की स्थिति  में एक दूसरे को देखने लगे. रोहित बोला विजय कही हम मुश्किल में ना पड़ जाए. पुलिस हमें ही ना डाकू घोषित कर दे, इतने में दरोगा सुखसागर गरज पड़े. दरोगाजी की गडगडाहट  सुनकर विजय बोले किसके घर डकैती पड़ गयी दरोगा जी .
दरोगाजी बोले विजय १०-१२ थे साले एक तो जरुर मरा है. साले भाग कर जायेगे कहा.
इतने में मिठाई चिल्ला पड़ा अरे साहब ये देखो एक ससुरा  यहाँ मरा पड़ा है. डाकू मरा पड़ा है सभी दौड़ पड़े पर क्या वहा तो डाकू के नाम पर एक लाश सजाकर रखा गया था. उत्तर दिशा में सिर था औ कुछ ही दूरी पर देसी कट्टा जिससे चिड़िया भी ना मरे. मिठाई पुलिस का दलाल था डाकू की शिनाख्त कर दिया. दरोगाजी  को तमंगा मिल गया परंतू रहस्य से पर्दा हटा तो पता चला की जिस आदमी का एनकाउन्टर  हुआ था  वह बस में सपत्नी यात्रा कर रहा था. उसे पुलिस  ने जबरदस्ती उतारकर साजिश के तहत क़त्ल कर एनकाउन्टर  का नाम दे दिया था . नन्दलाल भारती १७.०४.2011

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