Saturday, October 30, 2010

DAULAT

 दौलत ....
बाबूजी- आप तो कहते हो की आदमी बड़ा बनता है तो फलदार पेड़ की तरह झुक जाता है .
हां- बेटा रामू मैंने तो गलत नहीं कहा है. बात तो सही है रघुदादा  बेटे से बोले.
रामू- बात पुरानी हो गयी है .
रघुदादा-बेटा ये अमृत वचन है .
रामू-बाबूजी मै बॉस से ज्यादा पढ़ा लिखा हूँ. दफ्तर के बाहर मान-सम्मान भी है ,इसके बाद भी अपमान.
रघुदादा-ये दुर्जनों के लक्षण है . ये बबूल के पेड़ सरीखे होते है बेटा .
रामू-बाबूजी क्या करू ?
रघुदादा  -कुछ नहीं . कर्म पर विश्वास  रखो बस...
रामू- बाबूजी रोज-रोज अपमान का जहर .
रघुदादा-बेटा हर अच्छे  काम में बाधाये  आती है . घबराओ नहीं. भले ही ऊँचा पद और दौलत का पहाड़ तुम्हारे पास नहीं है परन्तु तुम्हारे पास कद की ऊँची दौलत तो है .कद से आदमी महान बनता है . पद और दौलत से नहीं ...नन्दलाल भारती

Thursday, October 14, 2010

awsarwadi

अवसरवादी ......
जयेश- आदमी कितना अवसरवादी  हो गया है ? मौका पाते ही डंक मार देता है.
रत्नेश- किसने किसको डंक  मार दिया जयेश भाई...
जयेश- अरे मै ही डंक का शिकार हूँ छोटा कर्मचारी जो ठहरा .
रत्नेस-- क्या ?
जयेश- हां ..
रत्नेश- ओ कैसे--?
जयेश- छोटा होना ही गुनाह है. जहा मै काम करता हूँ वहा के लोग अवसरवादी  है . वैसे  तो मै सहयोग  के लिए तैयार रहता हूँ. कुछ अवसरवादी  मुझे काम में व्यस्त देखकर विभागाध्यक्ष से शिकायत भरे लहजे में कहते है साहब जयेश  को बोलिए मेरा काम कर दे . कुछ लोग तो फिल्ड के कार्यकर्त्ता है और सभी कामो  के लिए पैसा भी मिलता है . लेते भी है पर काम मुझे करना होता है. तनिक विलम्ब हुआ  तो ये अवसरवादी विभागाध्यक्ष के पास पहुँच जाते है. विभागाध्यक्ष सब कुछ जानते हुए भी रौब मेरे ऊपर झाड़ते है .
रत्नेश-सच ये अवसरवादी लोग अन्याय कर रहे  है ...नन्दलाल भारती

koyala

कोयला ..
रेखा-लाली क्यों दुखी रहती हो. गोंड में सुन्दर सी बेटी है, हंस बोलकर रहा कर. माँ-बाप की या में कब तक तपती  रहोगी. मायका एक दिन छूट  ही जाता है हर लड़की का..
लाली- आंटी ये बात नहीं है.  
रेखा-क्या बात है ?  
लाली-बाप के जाती के अभिमान ने मुझे तबाह कर दिया. पश्चाताप की आग में जल रही हूँ.चैन की रोटी को तरस रही हूँ आंटी इस बड़े  घर में .
रेखा-क्या कह रही हो लाली ?
आंटी-आंटी बिलकुल सही कह रही हूँ. मेरे दीदी छोटी जाती के लडके से ब्याह कर दुनिया का सुख भोग रही है और मै नरक, जातिपाति ती के ठीहे पर मार्डन युग के पढ़े -लिखे लडके लड़कियों  भविष्य का क़त्ल कहा तक उचित है ? काश मै अपने भविष्य का फैसला खुद ली होती  दीदी की तरह तो अपने पाँव पर कड़ी होती. आंटी अंतरजातीय ब्याह की इजाजत होनी चाहिए आज के आधुनिक युग के लडके -लड़की को एक दुसरे के योग्य और स्वधर्मी होना चाहिए. हां विवाह क़ानूनी तौर पर हो और समाज  को मान्य हो. लाली की छटपटाहट   और पश्चाताप को देखकर रेखा को ऐसे लगा जैसे उसके गले में किसी ने गरम कोयला ड़ाल दिया  हो...
नन्दलाल भारती

Wednesday, October 13, 2010

GAALI

गाली ...
इस देश के लोग तरक्की नहीं कर सकते .स्कूटर  सवार  मालवा मिल, मुक्तिधाम की ओर मुड़ते हुए बोला. पिछली सीट पर बैठी पाश्चात्य रंग-रोगन में नख से शीश तक डूबी महिला ने कहा-एस यूं आर राइट . यह बात साइकिल सवार  के कान में जैसे पिघला शीशा डाल दी हो . वह चिल्लाकर बोला अरे वो बिलायातिबाबू हम तो आदर्श सभ्यता उच्च्संस्कार,मर्यादा  और मान-सम्मान की रोटी  को असली  तरक्की कहते हो . तुम अपनी अर्धनग्नता और फूहड़ता को तरक्की मानता है तो तेरी तरक्की तुझे मुबारक पर अपनी माँ को गाली तो मत दे.....

HOLI

होली ..
कुंदन बाबू   होली मुबारक हो कहते हुए गौतम बाबू  के ऊपर रंग भरी पिचकारी तान लिए .तानी हुई पिचकारी को रोकने का आग्रह करते हुए गौतम बाबू  बोले भईया तनिक रुको तो सही हमें भी तो मौका दो रंग पिचकारी लाने का .
कुंदन बाबू क्यों नहीं . ले आईये बाल्टी भर रंग .
गौतम बाबू झट से घर में से थाली  में फूल लेकर आये और कुंदन बाबू   को फूल देते हुए  बोले होली मुबारक हो कुंदन बाबू .
कुंदन बाबू फूल से होली .....
गौतम बाबू हां पानी बचाना है ना . 
नन्दलाल भारती ..

Saturday, October 9, 2010

PAHUNCH

पहुँच ....
आर्डर तो आ गए होगे ?
नहीं......
अरे यार महीनो हो गए इन्टरवियू हुए .अभी तक आर्डर नहीं आये .
प्रमोशन होगा तब ना आर्डर आएगा ?
क्या...
हां ....
मतलब तुम्हारा प्रमोशन नहीं हुआ .आश्चर्य , तुम जैसे पढ़े-लिखे योग्य प्रसिध्द कर्मचारी का प्रमोशन नहीं हुआ  तो किसका  होगा .
पढ़ा-लिखा योग्य और प्रसिध्द हूँ  पर श्रेष्ठता की योग्यता और पहुँच नहीं है ना ..
ये अन्याय है ,श्रेष्ठता की आड़ में  कमजोर  पढ़े-लिखे योग्य  कर्मचारी के  कल का क़त्ल है . कैसी संस्था है जहा  कम  पढ़े-लिखे ऊँची पहुँच वाले तरक्की के नित नए तारे तोड़ रहे है तुम जैसे पढ़े-लिखे आंसू से भविष्य सींच रहे है . कब तक  भयावह अन्याय होता रहेगा  कमजोर निचले तबके के पढ़े-लिखे  योग्य कर्मचारियों के साथ  समानता और न्याय  का झूठा  ढोल  पीटने वालो  .........नन्दलाल भारती ..१०.१०.२०१० 


 

bijali ka jhataka ....

बिजली का झटका ..
डाक्टर साहेब मेरी माँ को बचा लो...
क्या हुआ.......?
बिजली ऑफिस  गयी थी आपस आने के बाद से ये हाल है .
वहा  किसी ने कुछ कहा क्या ?
बिजली चोरिनी और भी बहुत कुछ . दो लाख का बिजली का बिल तुरंत भरने को कहा गया है . जबकि मेरा घर एक कमरे का मकान  कच्ची बस्ती में है . बिजली बिल की शिकायत माँ करने गयी थी .माँ को बचा लो डाक्टर साहेब ..बाक़ी पूछताछ बाद   में कर लीजियेगा डाक्टर साहेब.......
बहुत देर हो गयी . दिल के दौरे ने जान ले ली है  . अब कुछ नहीं हो सकता .
क्या राजू की माँ की मौत का कारण बिजली के बिल का झटका है ... 
हार्ट अटैक मौन यही कह रहा ....
हे भगवान विभाग की गलतिया आम- गरीब आदमी की कब तक  जान लेती रहेगी....
नन्दलाल भारती .. १०.१०.२०१०



Saturday, October 2, 2010

saeb jhooth mat bolo

साहेब झूठ मत बोलो ...
विकास समझाइस के लहजे में बोले किशन बाबू निर्णय लेने से  पहले बॉस से बात कर लिया करो .
किशन-बॉस से बात करके ही पार्टी को बुलाया हूँ. पार्टी मेरे साथ दुर्व्यवहार कर रही है तो मै कसूरार हो गया .
विकास - पार्टी भ्रष्ट लगती है . काम कराने के लिए दंड,भेद का सहारा  ले रही है . तुम इतनी जिल्लत क्यों झेले हो . बॉस बोले रहे थे की मैंने नहीं बुलाया है बोल देना था  ना बॉस से की आपने ही बुलवाया है .

किशन-दस लोगो के सामने बॉस की क्या इज्जत रहती .
विकास - सुने बॉस एक आप हो दोषी निरापद किशन को ठहरा रहे हो जबकि खुद दोषी हो . ना जाने क्यों  बड़े  बॉस लोग छोटे कर्मचारी के आंसुओ से अपने रुतबे को चमकने में लगे रहते  है .....साहेब झूठ मत बोलो  ...
विकास साहब की बात सुनकर बॉस बगले झांकने  लगे .. नन्दलाल भारती... २९.०९.२०१०

ek aur shikayat

एक और शिकायत ..
मोहन बाबू .....
क्या कह रहे है जनाब बोलिए .
क्यों चिल्ला रहे थे  ?
क्या कह रहे हो .
मै नहीं बिपिन कह रहा था .
जनाब मै अधिकारी तो नहीं की पूरानी कार  की डिलीवरी राकेश राजा को दे देता . मैंने कहा मै नहीं दे सकता बिना कागजी कारवाई पूरी करवाए   . साहब से बात करो . इतना कहते ही वह धमकी देने लगा, साहब को घुसखोर ,भ्रष्ट कहने लगा, सतर्कता विभाग को फोन पर शिकायत करने लगा  .यदि इसका जबाब  अपराध है तो किया हूँ  .
राकेश राजा ने अपराध किया है . बिपिन राकेश राजा का पक्ष्हर कैसे हो गया और तुम्हारी एक और शिकायत कर दी . खैर मतलब के लिए थूक कर चाटना, सिर पर जूता लेकर चलाना बिपिन की आदत है . काम तो करना नहीं है . बिना काम के तनखाह ले रहा है ऊपर से काम करने वालो  की शिकायत पर शिकायत ...... ..
देख लो जनाब..... नन्द लाल भारती.. २८.०९.२०१०

Interview

इंटरव्यू ..
बधाई हो ...
कैसी बधाई ?
इंटरव्यू पास हो जाओगे उसकी बधाई .
कैसे पास हो गया . रिजल्ट तो आने दो .
गिधायन साहेब कमेटी मेंबर है . तुम तो वैसे ही पास हो गए .
वो कैसे.......?
काबिल हो . तुम्हारे एहसान भी तो है गिधायन साहेब पर.
मेरे  कैसे एहसान  वह भी गिधायन साहेब पर..
भूल गए ? तुमने अपने घर का स्टोप उन्हें  दे दिया था  जब वे इलाज करवाने ने आये थे 'शहर में . तुम्हारे  घर में रोटी कैसे बनेगी इसकी  परवाह भी  तुम्हे नहीं थी . यह तो गिधायन साहेब को याद ही होगा .
वो एहसान  नहीं मेरा फ़र्ज़ था .
गिधायन साहब का भी तो कोई फ़र्ज़ है .
यार वो तो कांटा बो दिए . कमेटी के सामने बोले पदोन्नति के बाद हिंसक तो नहीं हो जाओगे .
क्या......
हां.....
मानवता को धर्म मानने वाले को हिंसक बना दिए  . वाह रे पद और दौलत का घमंड .....नन्द लाल भारती २.०९.२०१०