दौलत ....
बाबूजी- आप तो कहते हो की आदमी बड़ा बनता है तो फलदार पेड़ की तरह झुक जाता है .
हां- बेटा रामू मैंने तो गलत नहीं कहा है. बात तो सही है रघुदादा बेटे से बोले.
रामू- बात पुरानी हो गयी है .
रघुदादा-बेटा ये अमृत वचन है .
रामू-बाबूजी मै बॉस से ज्यादा पढ़ा लिखा हूँ. दफ्तर के बाहर मान-सम्मान भी है ,इसके बाद भी अपमान.
रघुदादा-ये दुर्जनों के लक्षण है . ये बबूल के पेड़ सरीखे होते है बेटा .
रामू-बाबूजी क्या करू ?
रघुदादा -कुछ नहीं . कर्म पर विश्वास रखो बस...
रामू- बाबूजी रोज-रोज अपमान का जहर .
रघुदादा-बेटा हर अच्छे काम में बाधाये आती है . घबराओ नहीं. भले ही ऊँचा पद और दौलत का पहाड़ तुम्हारे पास नहीं है परन्तु तुम्हारे पास कद की ऊँची दौलत तो है .कद से आदमी महान बनता है . पद और दौलत से नहीं ...नन्दलाल भारती
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