Thursday, October 14, 2010

awsarwadi

अवसरवादी ......
जयेश- आदमी कितना अवसरवादी  हो गया है ? मौका पाते ही डंक मार देता है.
रत्नेश- किसने किसको डंक  मार दिया जयेश भाई...
जयेश- अरे मै ही डंक का शिकार हूँ छोटा कर्मचारी जो ठहरा .
रत्नेस-- क्या ?
जयेश- हां ..
रत्नेश- ओ कैसे--?
जयेश- छोटा होना ही गुनाह है. जहा मै काम करता हूँ वहा के लोग अवसरवादी  है . वैसे  तो मै सहयोग  के लिए तैयार रहता हूँ. कुछ अवसरवादी  मुझे काम में व्यस्त देखकर विभागाध्यक्ष से शिकायत भरे लहजे में कहते है साहब जयेश  को बोलिए मेरा काम कर दे . कुछ लोग तो फिल्ड के कार्यकर्त्ता है और सभी कामो  के लिए पैसा भी मिलता है . लेते भी है पर काम मुझे करना होता है. तनिक विलम्ब हुआ  तो ये अवसरवादी विभागाध्यक्ष के पास पहुँच जाते है. विभागाध्यक्ष सब कुछ जानते हुए भी रौब मेरे ऊपर झाड़ते है .
रत्नेश-सच ये अवसरवादी लोग अन्याय कर रहे  है ...नन्दलाल भारती

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