बेटी का सुख ..
क्या औलाद हो गयी है आज के स्वार्थी जमाने की , बताओ तीन-तीन हट्टे -कटते बेटे,अच्छी खासी सरकारी नौकरी और बहो की भी सरकारी नौकरी पर तोता काका को समय पर पानी एने अल नहीं . देखो बेचारे अस्सी साल की उम्र में घर छोड़कर जा रहे थे .
खेलावन काका की बात सुनकर देवकली काकी बोली देखो एक बेटी अपनी भी है चार-चार बच्चो को पाल रही है, दफ्तर जाती है, बिटिया जरा भी तकलीफ नहीं पड़ने देती . सारी सुख सुविधा का ख्याल रखती है . एक वो है, तोताजी ,बेटा बहू नाती पोतो से भरा पूरा परिवार, अपार धन सम्पदा के बाद भी दाना-पानी को तरस रहे है . एक बेटी के माँ-बाप हम है ..............नन्दलाल भारती ... १६.०९.२०१०
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