मांग ..
यतन बाबू खुद काफी पढ़े लिखे सम्मानित व्यक्ति थे .उनकी बिटिया भी माँ-बाप का नाम रोशन कर रही थी . बेटी के ब्याह की चिंता उन्हें सताने लगी थी. सुयोग वर का पता लगते ही वे ऊँची उड़ान भरने वाली शिक्षा के साथ सामाजिक संस्कार में महारथ हासिल करने वाली बेटी की जन्म पत्री वर पक्ष की ओर भेजकर आश्वस्त हो गए. बेटी के हाथ जल्दी पीले करने के सपने बुनने लगे क्योंकि उनका मानना था की कोई भी सभ्य-संस्कारवान सामाजिक व्यक्ति बिटिया को ख़ुशी-ख़ुशी बहूरानी बनाने को तैयार हो जायेगा पर क्या भ्रम टूट तीसरे दिन इंकार हो गया.शायद बाप का ओहदा दहेज़ की मांग पूरी करने लायक नहीं था ...
. नन्दलाल भारती... १९.०९.२०१०
No comments:
Post a Comment