कसम ..
रामू पेट में भूख और दिल में अरमान पालकर पक्के इरादे के साथ शिक्षा हासिल किया था . रामू अधिक पढ़ा लिखा होने के साथ ही काम भी इमानदारी और पूरी निष्ठां के साथ करता था . उसे उम्मीद थी की वह कठिन मेहनत और शिक्षा के बलबूते ऊँची उड़ान भर लेगा , लेकिन ऐसा नहीं होने दिया कमजोर का हद मारने वालो ने . एक दिन सुहाने मौसम का जश्न मन रहा था कई बोतलों की सीले टूट चुकी थी कई मुर्गे उदरस्थ हो चुके थे. जाम का जश्न सर पर चढ़कर बोल रहा था . अफसर चिकंकुमार अफसरों के सुप्रीमो की गिलास में नई बोतल का दारू उड़ेलते हुए बार सर रामू का पर नहीं कतरे तो बहुत आगे निकल जाएगा .
सुप्रीमो-कभी नहीं--- उखड़े पाँव रामू चौथे दर्जे का है चौथे दर्जे से आगे नहीं बढ़ पायेगा चिकन कुमार मै कसम खाता हूँ ....
बस क्या इतने में मजे थपथपा उठी ....नन्द लाल भारती ...१२.०९.२०१०
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