आत्मह्त्या ..
परसुदादा आत्महत्या कर लिए , यह खबर बस्ती के किसी व्यक्ति के गले नहीं उतरी . नहीं दोस्तों के नहीं दुश्मनों के ही . परसुदादा की मौत का रहस्य तब उजागर हुआ जब उनके मझले भाई करजू के समधि दूधनाथ और दमाद प्रभू ने परसु दादा और उनके तीनो भाईयो के नाम चौदह साल पहले खरीदी गयी जमीन पर कब्जा कर लिए . खेती की जमीं पर कब्जा के बाद प्रभू का हौशला और बढ़ गया वह दरसु के घर पर भी कब्जा जमाने के लिए क़ानूनी दावपेंच चलने लगा . प्रभू के अन्याय को देखकर बस्ती के कुछ लोग दरसु के साथ खड़े हो हो गए. बस्ती वालो की वजह से प्रभू दाल गलती ना देखकर बोला दरसुवा तुमको तो ज़मीन में गड़वा दूंगा . तेरे बड़े भाई परसुवा की तरह तुमको पेड़ पर नहीं लटकाऊंगा याद रखना कहते हुए वह दलबल के साथ चला गया . परसूदादा के मौत की हकीकत से बीस साल बाद रूबरू होकर दरसु और उसके परिवार वाले ही नहीं पूरी बस्ती के लोग रो पड़े ... नन्दलाल भारती -- ०१.०९.२०१०
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