Sunday, September 19, 2010

BHEEKH

भीख ..
एक रूपया दे दो जोज की भूख लगी है कहते हुए भिखारी ने हाथ फैला दिया .
पराठे खा लो भूख लगी है तो .
पराठे नहीं .
क्यों मै भी तो खा रहा हूँ.
एक रूपया दे दो ..
खुले नहीं है 
कंजूस भीख नहीं दे सकते कहते हुए भिखारी बालक आगे चला गया .... नन्दलाल भारती ...१९.०९.२०१०

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