Sunday, September 19, 2010

PARSAAD

परसाद ..
आओ बच्चो आरती कर लो . पूजा हो गयी .
चलो माँ बुला रही है .
आरती का समय हो गया क्या ..?
हां बनती,बबली चलो. माँ बुला रही है ना .
माँ-बाप के साथ बच्चो ने आरती किया. माँ ने बच्चो को चना -चिरौंजी का परसाद दिया. प्रसाद माथे चढ़ाकर मुंह में डालते हुए बनती बोला माँ आरती के बा परसाद जरुरी होता हा क्या..?
हां -पूजा का परसा जीवन के अच्छे संस्कार की तरह है बेटा .
बनती- माँ मै भी बाँटूगा  ....नन्दलाल भारती ... १९.०९.२०१०

No comments:

Post a Comment