छोटा होने का दर्द ..
बड़े बाबू छुट्टी तो घोषित नहीं हो गयी ?
कैसी छुट्टी ?
बड़े बाबू छुट्टी तो घोषित नहीं हो गयी ?
कैसी छुट्टी ?
रंग पंचमी की . आज तो रंग पंचमी है ना . कोई आया नहीं .
घोषित तो नहीं है .दबंग लोग जब चाहे मना सकते है .
सच कह रहे हो बड़े बाबू हम और आप छोटा होने का दर्द पी रहे है .
दर्द कैसा हम तो ड्यूटी पर है .
बाकि लोग अफसर है इसीलिए मौज कर रहे है. फायदे का मौका आये तो लूट लो कर्मचारी को भनक ना लगे . ड्यूटी बस कर्मचारी का फ़र्ज़ है अफसर का नहीं ? बूढा समाज हो चाहे आधुनिक दफ्तर छोटा होने का दर्द तो पीना पड़ता है .
देश का दुर्भाग्य और हम छोटे लोगो के जीवन की सच्चाई तो यही है कैसे नक्कार दू ? नन्द लाल भारती 24.०३.२०११
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