आदेश ...
कालबेल की घनघनाहट सुनकर चपरासी बॉस के कक्ष में प्रवेश किया .बॉस ऐनक ऊपर-नीचे करते हुए बोले क्यों विवके आ गए .
रहीस- नहीं सर वे ग्यारह बजे के बाद आते है .
विवेक दफ्तर में घुसते ही रहीस को चाय लाने का आदेश दिए .
रहीस- सर जी चाय से पहले साहेब की सुन लो .
विवेक-सर आपने बुलाया है .
बॉस-तुमको अपनी औकात मालूम है. कैसे नौकरी लगी है . तुम्हारी माँ को तो मालूम होगा. कितने सफेदपोश,सफेद्कालर की चौखटों पर माथा पटकी अब जाकर नौकरी लगी, और तुम राम जी नेक,ईमानदार,वफादार कर्मचारी को औकात दिखा रहे हो . बेवक़ूफ़ कह रहे हो. ये अफासर्गिरी है या दादागिरी...
विवेक-सारी सर................
बॉस-माफी राम से मांगो ..
राम- सर कब तक इस दादा किस्म के अफसर को माफी दू .. पहले भी कई बार दे चुका हूँ..
बॉस-एक बार और ....
राम-सर आपका आदेश ........................नन्दलाल भारती -- ०१-०३-२०११
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