तुलना ..
क्यों कहा भेज दिया चपरासी को ?
अपने घर के काम से नहीं भेजा हूँ. दफ्तर के काम से गया है ,दफ्तर का काम निपटाकर सोहन अस्पताल में भर्ती अपने पिता को देखकर आएगा .घंटा भर भी तो नहीं हुआ गए..
चपरासी को अपना ही काम करना है तो उसको रखने की क्या जरुरत ?
क्यों हृदयहीन हो रहे हो बिपिन ?
तुमको लग रहा हूँ मै हृदयहीन हो रहा हूँ. क्या गलत है पानी कौन पिलाएगा ?
सभ्यता से बात करना सीखो बिपिन सड़क पर नहीं दफ्तर में हो. सोहन दैनिक वेतन भोगी है, इसके बाद भी तुमसे कई गुना अधिक काम करता है . तुम क्या करते हो चार घंटे के लिए दफ्तर आते हो. आते ही लोटपोट करने लगते हो . पानी की बोतले हर टेबल पर रख कर गया है पी लो प्यास लगी है तो ?
क्या------------- ? खुद पानी लेकर पीना है तो चपासी की क्या जरुरत ?
गाडी बंद हुए सालो बीत गये है फिर तुम ड्राइवर की क्या जरुरत. ? चालीस हज़ार रुपये हर महीने ले जा रहे हो वह भी बिना काम के. बेचारा सोहन दफ्तर के अन्दर-बाहर के काम आवक-जावक सहित दूसरे भी काम कर लेता है . अब दैनिक वेतन भोगी चपरासी से क्या काम लेना चाहते हो ? अपने दिल से पूछो तुम क्या कर रहे हो ?
बिपिन - मैं परमानेंट सरकारी दमाद वह दैनिक वेतन भोगी चपरासी हमारी उसकी क्या तुलना ............? नन्दलाल भारती ०२.०३.२०११
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