नरपिशाच/लघुकथा
देवकी चाची-बहू आपरेशन की तारीख डाक्टर ने दे दी क्या ?
गीता-आपरेशन कराना ज़िन्दगी से खिलवाड़ है।
देवकी चाची दूसरे डाक्टर की सलाह ले ली होती,पहले भी चार-चार ऑपेरशन हो चुके है।बार-बार घाव पक रहा है । आजकल डाक्टरों पर आँख बंद कर भरोसा करना मौत के मुंह में खुद को धकेलना है।
गीता- दिखा दी ।
देवकी चाची-किसको ?
गीता-फैमिली डाक्टर को।
देवकी चाची-क्या आपरेशन जरुरी है क्या कहा डाक्टर साहेब ने ?
गीता-फैमिली डाक्टर ने एक सप्ताह की दवाई दिया है,दो दिन में मवाद बंद हो गया है,दर्द भी बहुत कम हो गया है। आपरेशन जरुरी नहीं है। डाक्टर ने दवा गलत दिया था ताकि घाव सूखे नहीं शरीर सूजा रहे ताकि मजबूर होकर आपरेशन करवाना पड़े।
देवकी चाची-मतलब कमाई के लिए मरीज का वध ।
गीता -यही समझ लो चाची,ज़िन्दगी भर के लिए एक डाक्टर का दिया दर्द पीकर अपाहिज सी ज़िन्दगी जी रही हूँ।
देवकी चाची-बदलते समय में आँख बंद कर एक डाक्टर पर विश्वास करना अपने जीवन से खिलवाड़ करना है क्योंकि भ्रष्ट्राचार और अवैध कमाई की ललक में कुछ डाक्टर -भगवान से नरपिशाच बन गए है |
डॉ नन्द लाल भारती
21 .11 .2015