Friday, August 27, 2010

KAMAAEE

कमाई ..
गोपाल -भइया चिंतानंद क्यों माथे पर हाथ धरे बैठे हो .
चिंतानंद  - परिश्रम और योग्यता  हार गयी है श्रेष्ठता के आगे .
गोपाल-शोषण के शिकार हो गए है .
चिंतानंद-हां, सामाजिक व्यवस्था और श्रम की मण्डी में भी .
गोपाल-युगों पुराना घाव  है .कारगर इलाज नहीं  हो रहा है सब मतलब के लिए भाग रहे है . कमजोर के हक़  की कमी पर गिध्द नज़र टिकी है. आतंक और शोषण से कराहते  लोगो की कराहे अनसुनी हो रही है .
चिंतानंद - यही दर्द ढ़ो रहा हूँ . 
गोपाल- तुम भी भईया . 
चिंतानंद- हां ..
गोपाल-समझ रहा था की हम अनपढ़ और असंगाथिर मजदूरों का बुरा हाल हा . पढ़े लिखे भी शोषण के शिकार है .
चिंतानंद- हां भईया चौथी श्रेणी का कर्मचारी हूँ. काम भी मुझे से कोल्हू के  बैल सरीखे लिया जाता है . काम हम करते है . हमारी कमी में बरकत नहीं होती उखड़े पाँव आंसू  पीने को बेबस  हो गया हूँ. ओवर टाइम और प्रतिभुतिभत्ता श्रेष्ठ चापलूस और रुतबेदार लौट रहे है . उनकी कमाई में चौगुनी बरकत हो रही है .
गोपाल-हक़ के लिए संगठित  होकर जंग छेडना होगा भईया चाहे सामाजिक हक़ हो या परिश्रम की कमाई का ...नन्दलाल भारती २८.०८.२०१० 




 

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