Sunday, August 8, 2010

Bhoot

भूत .
पच्चीस तारीख की संगोष्ठी का मुख्य वक्ता  आपको संस्था बनाने के इच्छुक है . आप सहमति प्रदान  कर दे तो सदस्यों  को सूचित कर दू .
डायरी देखर बताऊंगा .
क्या ?
हां . आजकल बहुत व्यस्त चल रहा हूँ साहित्यिक कार्यकर्मो की  वजह से . कल बता दूंगा .
ठीक है डायरी देखकर बता  दीजियेगा .
मन ना मान रहा था जनाब की व्यस्थता सुनकर. शहर में रोज साहित्यिक महफिले सजाती है पर दीदार नहीं होते. ऐसे कौन से साहित्यिक जलसे में व्यस्त रहते है .
जनाब का  फोन  एक तारीख के बाद रख लीजिये .
क्या  ?
हां .........
क्यों..?
डायरी खाली नहीं है .
डायरी खाली  है या नहीं पर श्रेष्ठता का भूत खाली नहीं है जनाब ......नन्द लाल भारती १८.०७.2009

No comments:

Post a Comment