Friday, August 13, 2010

MUSIBAT

मुसीबत...
छोटे कर्मचारी संतलाल को निशाना साधते हुए दो अधिकारी उपहास किये जा रहे थे .वे अपने पद ,दौलत और ऊँची पहचान का बखान कर थक नहीं रहे थे. गरीब कर्मचारी  चुपचाप सब सुन रहा था  . इसी बीच कर्मचारी का दोस्त रामलाल आ गया .संतलाल से पूछा माँ कैसी है ?
संतलाल बीमार तो है पर पोते-पोती के साथ खुश है .
रामलाल माँ बाप ही भगवान् है .सेवा सुस्रुखा करते रहना .
संतलाल -हां ..
रामलाल की बात कुछ दिन पहले अपनी मुसीबत बेरोजगार भाई के सर पर डालकर आये बड़े पद और बेशुमार दौलत के मालिक के  कान में गर्म शीशा जैसे डाला दी हो . वे बौखलाकर संतलाल इ बोले काम भी करोगे या बाते काटे रहोगे..? 
नन्दलाल भारती १४.०८.२०१०

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