Tuesday, August 17, 2010

BAKAR KASAAEE

बकर कसाई ..
डाक्टर रोहित मेरा पेट क्यो फाड़ दिया ?
आपरेशन करना पडा  गनेरियाजी .
पथरी के आपरेशन के लिए पूरा पेट फाड़ दिया ?
तुम्हारी आंत में मांस का लोथड़ा  था, तुम्हारी जान बचाने के लिए करना पड़ा.
मै मांस खाता ही नहीं तो मांस का लोथड़ा कहा से आया ? दर्द है की कम होने का नाम नहीं ले रही है  सप्ताह भर बाद भी .
गनेरियाजी फिर से पेट खोलना पड़ेगा .
क्या कह रहे हो डाक्टर ?
ठीक कह रहा हूँ अक्तरडाक्टर  मै हूँ या तुम ?
रोहित डाक्टर होतो पैसे के लिए जान ले लोगे ?
जीने के लिए आपरेशन तो करवाना पडेगा .
डाक्टर तुमने ऐसा क्यो कर दिया ?
किया तो नहीं हो रहा है .
क्या ...
आंत बाहर आ रही है .जान बचानी है तो आपेरशन कराओ. पच्चास हजार और जमा करवाकर .
गनेरिया जी ने  डाक्टर के मुंह पर थूकते हुए  कहा तू डाक्टर नहीं बकर कसाई है . तुम्हारे अस्पताल में इलाज करवाना जान जोखिम में डालना है ,वाक्य पूरा नहीं हुआ इतने में गश खाकर गिर पड़े. नाजुक  हालत देखकर गनेरियाजी के परिजन जान बचाने के लिए सरकारी अस्पताल की ओर भागे.. नन्दलाल भारती १७.०८.२०१०

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