Thursday, August 12, 2010

ROTI

रोटी ..
आजी रोटी खा रही है .
हां बीत्य .
दोपहर की है या रात की ?
जो मान लो . बहु-बेटो का राज है .
बस रोटी दाल सब्जी कुछ नहीं ?
है ना---
क्या ?
थोडा नमक और पानी...
खाने में ?
हां और आंसू के आचार भी.
बाप रे ऐसा अन्याय बूढी माँ के साथ .
कहा  ले जा रही हो?
जमाने को दिखाना है. नकाब हटाना है , भलमानुष का मुखौटा लगाये चेहरों से . माँ बाप धरती के भगवान् है. बहु-बेटो को बताना है ताकि मिले सकूँ की रोटी बढ़े माँ-बाप को ..नन्द लाल भारती .. १२.०८.२०१० 
 

No comments:

Post a Comment