विरासत ..
क्यों अन्याय कर रहे हो ?
घर बनाना अन्याय है ?
दूसरे के पुरखो की विरासत पर उन्ही का बॉस काठ छिनकर अन्याय नहीं तो और क्या है ?
अन्याय कहते हो ?
मान जाओ ना हड़पो किसी के पुरखो की निशानी .
हड़प लिया तो ?
विलास नहीं कर पाओगे .
देखता हूँ कौन विलास से रोकता है ?
आह.....
हो गया कब्ज़ा . बुझ गया दिया .खिलखिलाती रही जमीं ....नन्दलाल भारती .. १२.०८.२०१०
No comments:
Post a Comment