बंज़र औरत ..
बिटिया कब आयी शहर से ?
काकी तीन दिन हो गए .
यहाँ कब आयी ?
दो घंटे हो गए काकी .
भाई-भौजाई भतीजी-भतीजे सब घेरे गये है ,नई माताजी नहीं दिख रही है?
फुर्सत नहीं होगी उन्हें .
देखो तक़रीर कर रही है मक्के के खेत में . है तो सौतेली माँ ना . वह भी बंजर जमीन जैसी.ना जाने कौन सा षड्यंत्र रची की तुम्हारा बाप उम्र के आखिरी पडाव पर ब्याह कर चल बसा . धन दौलत का मज़ा इतरिया के मायके वाले उठा रहे है . हरिहर की औलादे पोते-पोतिया आंसू पी रहे है .
काकी सभी सौतेली माँ ऐसी होती है क्या ?
नहीं ........... इतिहास सौतेली माताओं के त्याग से भरा है पर इतवारिया खून पी रही है ..
नन्दलाल भारती ---- ०4.०८.010
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