Sunday, August 8, 2010

samajhdari

समझदारी .
अशोक-चंद्रेश बाबू कैसे आये हो ?
चंद्रेश- स्कूटर से और कैसे ?
 अशोक- बाहर तुम्हारी गाड़ी तो है ही नहीं.
चंद्रेश- नहीं है ना .
अशोक- कोई मंगनी ले गया क्या ? बहुत महंगा पेट्रोल है . मत दिया करोकिसी को. हमें महंगा पड़ रहा गाड़ी से चलाना . तुमसे तीन गुना अधिक पगार मिलती है. कौन ले गया है ?
चंद्रेश- बॉस .....
अशोक-बहुत ले जाते है और किसी की नहीं मिलती क्या ?
चंद्रेश- मै मेरा हक़ और मेरे सामन की तो वही  दशा है जैसे कमजोर आदमी की दूध देने वाली भैंस .
अशोक- समझ में नहीं आयी तुम्हारी बात .
चंद्रेश- सर जी कमजोर आदमी की भैंस जन्न गयी है . खबर तेजी से फ़ैलती है उतनी ही तेजी से दबंग लोगो के बर्तन भी निर्बल के घर की और दौड़ पाते है फ़ोकट में दूध  लेने के लिए  .
अशोक-- ओ आई सी .... बॉस है . अपने सामान को हाथ नहीं लगते . सरकारी परिसम्पतियो का उपभोग खुद का हक़ मान कर करते है . नीचे वालो का हक़ चाट करने में तनिक भी कोताही नहीं  बरतते . चौबीस सरकारी गाड़ी का उपभोग . सरकारी गाड़ी में दिक्कत आ जाए तो तुम जैसे भैस वाले का उपभोग.सरकारी उपभोग की असतो को इतना दूर करके रखते है जैसे तुम हो  अछूत .
चंद्रेश -मुझ अआने की क्या औकात आप तो अधिक समझते है सर जी .....नन्द लाल भारती ... १७.०७.२००९

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