समय की बर्बादी ...
कवी महोदय ने मासिक संगोष्ठी के अंतर्गत आयोजित काव्यपाठ में ज्ञान-ध्यान,राष्ट्र एव मनाता को समर्पित रचनाओ का सस्वर पाठ श्रोताओ का मन मोह लिया . कर्यदार्म के अंत में राजभोग और चाय का बंदोबस्त था . राजभोग के साद में उपस्थिर जन दुबे हुए थे . इसी बिच एक वृध्द साहित्यकार आपसी मनमुटाव बस नाराजगी जताते हुए अध्यक्ष एव सचिव से बोले भविष्य में नए विचारो को संगोष्ठी में शामिल करे. काव्यपाठ के नाम पर पुरानी बातो पर समय की बर्बादी ठीक नहीं. रचनाओ में नए विचार होने चाहिए . साहित्यकार महोय के सुझाव से राजभोग का SWAD खारा HO GAYA और LOG THOO -THOO KARANE LAGE .
NAND LAL BHARATI ..14.08.2010
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